Thursday, August 23, 2012

ये मेरा इक सवाल है



This is a poem on growing Terrorism across the globe

ये कौन हैवान बना
मचा रहा कोहराम है ,
क्या उसका कोई घर नहीं
नहीं क्या कोई काम है ,
क्यूँ सब तरफ मासूमों का
वो करे बुरा हाल है ,
ये मेरा इक सवाल है ।

क्यूँ सोचता नहीं है वो
के जनम एक बार है ,
क्यूँ दुश्मनी में तत्पर
सबको मारने को तैयार है ,
मचा रहा सभी जगह
क्यूँ तेज़ इक बवाल है ,
ये मेरा इक सवाल है ।

कहीं पे बमों से
कहीं पे गोलियों की बोछार से ,
मिटा रहा है वो
प्यार को सत्कार को औज़ार से ,
है सहमी सृष्टि जाने
क्यूँ आया इक भूचाल है ,
ये मेरा इक सवाल है ।

पहले कभी सुनाई देता था ना
किस्सा ये इस देश में ,
अब घूमता रहता  
हर जगह दरिंदा कई भेस में ,
और मचाया उसने क्यूँ
आतंक हर साल है ,
ये मेरा इक सवाल है ।

- जितेश मेहता