Saturday, January 30, 2016

आया रविवार, Happy Sunday


देर से उठना Multiple अंगड़ाइयाँ
दो-तीन बार चाय No Question कि why ?
चाय के साथ में भिन्न-भिन्न प्रकार के बिस्किट
Office जल्दी पहुँचने की No 
किट-किट

आराम से दिन कटने के पूरे आसार
लो आया रविवार

पसंदीदा फ़िल्मों की झड़ियाँ
बिना चिंता कि whats the time on घर की different घड़ियाँ
Lunch time में नाश्ता
आज बाहरी दुनिया से नहीं कोई वास्ता

Lazying around time for me and my Car
लो आया रविवार

आज पूरा time घर वालों संग
खूब सारी पुरानी बातें
हस्ते-हस्ते ऐंठ जाएँ आंतें
सुबह idli-dosa, दोपहर राजमा-चावल, ठीक चार बजे samosa

मौज-मस्ती हसीं-ख़ुशी का लगा हुआ बाज़ार
लो आया रविवार 

बड़ा मज़ेदार दिन है इसमें यादें जम जाती हैं
सब Slow हो जाता है दुनिया थम जाती है
पूरा दिन fun इसीलिए fun day
हफ़्ते का सबसे अलग दिन बेहतरीन Sunday

Exclusive time for यार, रिश्तेदार, परिवार
लो आया रविवार 

Monday, January 25, 2016

छब्बीस जनवरी 26th January


देश प्रेम मन में जगाने और 
गर्व का अहसास है छब्बीस जनवरी
वीरों का समारोह वीरता का मेला
पर्व बड़ा ख़ास है छब्बीस जनवरी 

भारत देश त्यौहारों का देश है 
जोश का प्रतीक है छब्बीस जनवरी
अलग-अलग भाषा अलग-अलग वेश हैं
जोशीली तारिख है छब्बीस जनवरी 

देश के हर सैनिक से हुआ गौरवान्वित 
इनके नाम है छब्बीस जनवरी
शहादत और त्याग से भरा हुआ 
देता कई पैगाम है छब्बीस जनवरी 




Tuesday, January 19, 2016

Star परिवार

घने काले ब्रह्माण्ड में 
रौशनी के बुलबुले 
चमकते लाखों ग्रहिकाओं में 
करोड़ों चुलबुले 
पहले छोटे चन्द्र बिंदु सा  
जनम ये पाते हैं 
फिर पूरे चंद्रमा सा 
इक ग्रह बन जाते हैं

रहते हैं परिवार से 
एकदूजे में घुलेमिले 

घने काले ब्रह्माण्ड में
रौशनी के बुलबुले 
चमकते लाखों ग्रहिकाओं में 
करोड़ों चुलबुले 

कहीं पे ये टूट के गिर 
मनमोहित करते हैं 
कहीं पे सैंकड़ों वर्षों तक 
अमर हो तरते हैं

कहीं हैं मैले पीले 
कहीं सफ़ेद धुले-धुले 

घने काले ब्रह्माण्ड में
रौशनी के बुलबुले 
चमकते लाखों ग्रहिकाओं में 
करोड़ों चुलबुले 

किसी के लिए ये केवल तारे
किसी के लिए कहानी
कोई बना इनमें हवा से
किसी में शायद पानी

अलग-अलग रंग रूप
हैं वर्षों वर्ष पले 
घने काले ब्रह्माण्ड में
रौशनी के बुलबुले 
चमकते लाखों ग्रहिकाओं में 
करोड़ों चुलबुले

Wednesday, January 13, 2016

Happy Uttarayan / Makar Sankranti

नारंगी, बदरंगी या सतरंगी
आज पतंगें काटेंगे
ठण्ड होगी तो पहन के Sweater
वर्ना नंगे काटेंगे

डोरी होगी धार भरी
जो ज़ालिम केहर बरपाएगी
सारे उलझे फंसे पेच
वो काट-काट सुलझाएगी

शोर गुल इतना होगा
कोई कुछ सुन न पायेगा
Music होगी मस्ती होगी
मज़ा बहुत ही आएगा

शाम तलक तेज़ धूप से
मुँह काले पड़ जाएंगे
फिर भी उड़ाने के लालच में
टुक्कल छत पे लाएंगे 

रात पतंगें यूँ लगेंगी
तारे अपने साथ हैं
जिधर भी चाहो उधर मोड़ लो
ये जुगनू अपने हाथ हैं

Thursday, January 7, 2016

बाकी सब ठीक है


धंदा पूरा मंदा है
बाकी सब ठीक है
घर टूटा है गन्दा है
बाकी सब ठीक है
माँ बहू से रूठी है
बाकी सब ठीक है
इक नौकरी थी छूटी है
बाकी सब ठीक है
नजला जुखाम सब सर्द है 
बाकी सब ठीक है
सीने में रहता दर्द है
बाकी सब ठीक  है
महीने के अंत में तंगी है
बाकी सब ठीक है
बिजली की तारें नंगी हैं
बाकी सब ठीक है
ये बाकी की कहानी है
बाकी सब ठीक है
जीवन भर चलती जानी है
बाकी सब ठीक है