Sunday, December 31, 2017

Happy new year 2018


पाएं आप खुशियां जहां की
पूरे हों सब सपने 
प्यार इज़्ज़त दें आपको सारे 
पराये हों या अपने 
निकल के उभरे आपके अंदर 
बैठा हुआ सितारा 
बीते मस्ती हँसी खुशी से दो हज़ार अठारह 

-जितेश मेहता 

Happy 2018

Wednesday, July 26, 2017

ऐसे कारगिल चले


    On Occassion of Kargil Vijay Diwas
    कारगिल विजय दिवस
    बिना सोचे क्या होगा
    बाद में 
    कौन रखेगा हमें
    याद में
    सारी पलटने सीना
    तान के
    जीतना है बस
    यही मान के
    वीर अपना सर उठा
    लेके शेर-दिल चले
    ऐसे कारगिल चले
    पाँच सौ सत्ताईस वीरों ने
    अपने को कुर्बान किया
    देश है पूरा ऋणी इन सबका
    मिलकर ऐसा काम किया
    हुए हज़ारों घायल
    फिर भी दुश्मन दूर खदेड़ दिया
    जो आए थे क़ब्ज़ा करने
    उनको मार उधेड़ दिया
    देश राग में एक साथ में
    सारे सैनिक मिल चले
    ऐसे कारगिल चले
    इन वीरों की गाथा
    हमको हर वर्ष दोहरानी है
    याद है रखना हर शहादत
    बेफ़िज़ूल न जानी है
    नौजवानों ने हम सबकी
    और देश की साख रखी
    हुए शाहिद सरहद पर मिलकर
    अपने जिस्म की राख रखी
    उनके हर चिंघाड़ पे
    दुश्मन के पर्वत हिल चले
    ऐसे कारगिल चले
    Kargil कारगिल के युद्ध में सम्मिलित वीरों और शहीदों को समर्पित -
    एक छोटी सी श्रद्धांजलि -Jitesh Mehta


Monday, July 24, 2017

गीला है

आज तो मेघा ऐसे बरसे
हर इक स्थान गीला है
धरती तो गीली होनी थी
आसमान भी गीला है
बाहर जितना भी पड़ा
सारा सामान भी गीला है
इंसान तो गीले हैं ही
'भगवान' भी गीला है
अच्छा भी गीला है
और शैतान भी गीला है
इज़्ज़तदार भी गीला है
और बदजुबान भी गीला है
पांडे गीला, Joseph गीला,
सिंह और ख़ान भी गीला है
धूप से सूख जो मुरझाया था
हर अरमान गीला है
रौनक वाला गीला है
रस्ता 'सुन-सान' गीला है
शातिर भी गीला है
बेचारा नादान भी गीला है
जिनकी ईंटें सूख चुकी थी
हर वो मकान गीला है
आज तो मेघा ऐसे बरसे
हर इक स्थान गीला है ...

-वर्षा ऋतु की शुभकामनाएं 
  जितेश मेहता 

Saturday, April 29, 2017

ख़यालों की बस्ती में

ख़यालों की बस्ती में
अपनी एक दुकान है 
जिसमें गहने बिकते हैं 
ग्राहक अक्सर दिखते हैं 
नोटों का गोदाम है 

ख़यालों की बस्ती में

ख़यालों की बस्ती में 
अपना बड़ा सा बंगला है 
बाकी मोहल्ला कंगला है 
दरबार हूँ रोज़ लगाता 
ऐसी अपनी शान है 

ख़यालों की बस्ती में

ख़यालों की बस्ती में 
तीन रानियाँ संग में है 
सेना बाकी जंग में है 
जीवन रंगा-रंग में है 
इक सोने की खान है 

ख़यालों की बस्ती में

ख़यालों की बस्ती में 
बनें संत महान हैं 
बाटें हरदम ज्ञान हैं 
काम किए कुछ ऐसे 
मिलने को तरसे इंसान हैं 

ख़यालों की बस्ती में

-जितेश मेहता 

Tuesday, April 18, 2017

तलाक



Inspired by the lines of a famous Poet, please read my version of Talaak

तलाक

तलाक तो दे रहे हो मुझे गुरुर और  कहर  के साथ
मेरी जवानी भी लौटा दो मेरी मेहर के साथ

दिन लिए, महीने लिए, साल लिए
मेरी शाम भी वापस दे दो मेरी सहर के साथ

अब तिल तिल के जीने से क्या फायदा
साँसे मेरी लौटा दो एक बोतल ज़हर के साथ

तुम्हारा प्यार था मेरे जीवन की बारिश
अब खत्म हो गयीं सारी ख्वाहिश
अब ले गए हो अपनेपन की धुप
मोहब्बत की दोपहर के साथ

तुम्हारे कहते ही कि मैं तुम संग जी न सकूँगा
अब साथ चलोगी तो और थकुंगा
मेरे सपने बह गए जैसे कहीं
बदनसीबी की नेहर के साथ

तलाक तो दे रहे हो मुझे गुरुर और कहर के साथ

मेरा जवानी भी लौटा दो मेरी मेहर के साथ

-जितेश मेहता

Monday, March 27, 2017

गर्मी आने वाली है ........

गर्मी आने वाली है ........

फिर से कर लो सब तैयारी
गर्मी आने वाली है
सूरज तेज़ यूँ चमकेगा
जैसे आई दिवाली है

पानी की हर बूँद बचाना
मोती सा कीमती है
अभी अगर बर्बाद कर दिया
कई महीनो फिर दुर्गति है

बिजली अभी कम खर्चोगे
सबको पूरी मिल पाएगी
वर्ना कई शहरों-गाओं की
रौनक ही उड़ जायेगी

इस ग्रीष्म ऋतु आओ
कुछ ऐसा मिल करें यारों
जल को कंजूसी से खर्चें
खुशहाली फिर दिशा चारों

जितेश मेहता
Jitesh Mehta

Welcome Summer 2017

Saturday, March 11, 2017

Happy Holi

रंग डालो कोई भी
पर मन काला न रखना
प्रेम-भाईचारा फ़ैलाना
मस्ती का रंग चखना

मुँह से बस मोती ही बरसे
निकले न कोई गाली
नाचो जम के
गाओ मन से रंगों भरी कवाली

दोस्तों की टोली लेके कर दो शहर रंगीला
गन्दा मत करना परंतु हर कोना हो गीला
मस्ती ख़ुशी से भर जाए कल पूरे दिन की डोली
मेरी तरफ़ से हर भारतवासी को Happy Holi-