Friday, November 27, 2015

प्रकृति का विरोध

El Nino ने आके बारिश को रोक लिया
La Nina ने फ़ैल के सर्दी को टोक दिया
November ख़त्म हुआ, इक ठंडी हवा चली न
पंखे अब भी दिन रात चले हैं ,गर्मी अभी ढली न
सरद ऋतू पर सर्दी गायब ,बात बड़ी है चिंता की
अब सबको लगने लगा है, गलती है ये जनता की
कई सालों तक धुवां उड़ाया ,बिना सोचे कुछ भी अंजाम
हर साल बढ़ रहा तापमान,आगे लगेंगे हवा के दाम
अब भी कुछ कर पाये तो अच्च्छा, वर्ना चलो करें तैयारी
गर्मी में होगी सर्दी और सर्दी में गर्मी , अगली बारी 

Thursday, November 26, 2015

अत्याचार है

पूरे विश्व में त्राहिमाम-त्राहिमाम है
आम आदमी का हो रहा काम-तमाम है
दिन रात मचा हुआ हाहाकार है
आतंकियों का हो रहा अत्याचार है

कुछ देश इनमें अपने सब्ज़बाग को
भड़का रहे हैं इस सुलगती हुई आग को
मरते हुए बेगुनाह नज़र नहीं आते
आतंकियों से भरा हर समाचार है

अनपढ़ों की फ़ौज है हर क्षण बढ़ रही
जाने किस के लिए हर वक़्त है लड़ रही
आँख मूँद बैठे इनमे देश कई हैं
परमाणु के ढेर का इक अहंकार है

पूरे विश्व में त्राहिमाम त्राहिमाम है
आम आदमी का हो रहा काम तमाम है
दिन रात मचा हुआ हाहाकार है
आतंकियों का हो रहा अत्याचार है


Friday, November 20, 2015

आतंकवाद

सीधे-साधे बेगुनाह लोगों पर अत्याचार
चारों तरफ धुवाँ ,बम, गोलियों की फुंकार  

हर दिशा और हर दशा में गूंजे हाहाकार 
आदमी थे कभी जो, अब बन बैठे हैं खूंखार 

हथियारों की ताक़त का चिल्लाता अहँकार 
दुनिया के नक्शों को झट से बदलने का प्रहार 

कायर हैं कमज़ोर, न जाने करना जो संवाद 
निकल पड़े हैं, 'ज़ालिम' बनने, थामे आतंकवाद 

Tuesday, November 3, 2015

चार इतवार मज़ेदार


महीने के ये चार दिन हैं जो रिश्तों को सँभालते हैं 
बाकी के छब्बीस तो बस किश्तों को संभालते हैं 

इन चार दिनों में ही नाश्ते का असली मज़ा आता है 
बाकी दिन तो अक्सर वो जल्दबाज़ी में छूट जाता है 

सुबह देर से उठना बस इन दिनों को गवारा है 
बाकी दिन जल्दी उठना समझो इक फ़र्ज़ हमारा है 

इतवार ही है जब TV दोपहर भी चलता है 
बाकी दिन तो बस शाम के पहर ही चलता है 

इतवार ऐसा दिन है जो लाये खुशियों का अम्बार 
हर बार ऐसा मनता है जैसे आया हो त्यौहार