a poem on growing life and how post marriage you miss so much
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Monday, June 15, 2020
Sunday, December 31, 2017
Happy new year 2018
पाएं आप खुशियां जहां की
पूरे हों सब सपने
प्यार इज़्ज़त दें आपको सारे
पराये हों या अपने
निकल के उभरे आपके अंदर
बैठा हुआ सितारा
बीते मस्ती हँसी खुशी से दो हज़ार अठारह
-जितेश मेहता
Happy 2018
Wednesday, July 26, 2017
ऐसे कारगिल चले
On Occassion of Kargil Vijay Diwas
कारगिल विजय दिवस
सारी पलटने सीना
तान के
जीतना है बस
यही मान के
तान के
जीतना है बस
यही मान के
वीर अपना सर उठा
लेके शेर-दिल चले
लेके शेर-दिल चले
ऐसे कारगिल चले
पाँच सौ सत्ताईस वीरों ने
अपने को कुर्बान किया
देश है पूरा ऋणी इन सबका
मिलकर ऐसा काम किया
अपने को कुर्बान किया
देश है पूरा ऋणी इन सबका
मिलकर ऐसा काम किया
हुए हज़ारों घायल
फिर भी दुश्मन दूर खदेड़ दिया
जो आए थे क़ब्ज़ा करने
उनको मार उधेड़ दिया
फिर भी दुश्मन दूर खदेड़ दिया
जो आए थे क़ब्ज़ा करने
उनको मार उधेड़ दिया
देश राग में एक साथ में
सारे सैनिक मिल चले
सारे सैनिक मिल चले
ऐसे कारगिल चले
इन वीरों की गाथा
हमको हर वर्ष दोहरानी है
याद है रखना हर शहादत
बेफ़िज़ूल न जानी है
हमको हर वर्ष दोहरानी है
याद है रखना हर शहादत
बेफ़िज़ूल न जानी है
नौजवानों ने हम सबकी
और देश की साख रखी
हुए शाहिद सरहद पर मिलकर
अपने जिस्म की राख रखी
और देश की साख रखी
हुए शाहिद सरहद पर मिलकर
अपने जिस्म की राख रखी
उनके हर चिंघाड़ पे
दुश्मन के पर्वत हिल चले
दुश्मन के पर्वत हिल चले
ऐसे कारगिल चले
Kargil कारगिल के युद्ध में सम्मिलित वीरों और शहीदों को समर्पित -
एक छोटी सी श्रद्धांजलि -Jitesh Mehta
एक छोटी सी श्रद्धांजलि -Jitesh Mehta
Monday, July 24, 2017
गीला है
आज तो मेघा ऐसे बरसे
हर इक स्थान गीला है
हर इक स्थान गीला है
धरती तो गीली होनी थी
आसमान भी गीला है
आसमान भी गीला है
बाहर जितना भी पड़ा
सारा सामान भी गीला है
सारा सामान भी गीला है
इंसान तो गीले हैं ही
'भगवान' भी गीला है
'भगवान' भी गीला है
अच्छा भी गीला है
और शैतान भी गीला है
और शैतान भी गीला है
इज़्ज़तदार भी गीला है
और बदजुबान भी गीला है
और बदजुबान भी गीला है
पांडे गीला, Joseph गीला,
सिंह और ख़ान भी गीला है
सिंह और ख़ान भी गीला है
धूप से सूख जो मुरझाया था
हर अरमान गीला है
हर अरमान गीला है
रौनक वाला गीला है
रस्ता 'सुन-सान' गीला है
रस्ता 'सुन-सान' गीला है
शातिर भी गीला है
बेचारा नादान भी गीला है
बेचारा नादान भी गीला है
जिनकी ईंटें सूख चुकी थी
हर वो मकान गीला है
हर वो मकान गीला है
आज तो मेघा ऐसे बरसे
हर इक स्थान गीला है ...
हर इक स्थान गीला है ...
-वर्षा ऋतु की शुभकामनाएं
जितेश मेहता
Saturday, April 29, 2017
ख़यालों की बस्ती में
ख़यालों की बस्ती में
अपनी एक दुकान है
जिसमें गहने बिकते हैं
ग्राहक अक्सर दिखते हैं
नोटों का गोदाम है
ख़यालों की बस्ती में
ख़यालों की बस्ती में
अपना बड़ा सा बंगला है
बाकी मोहल्ला कंगला है
दरबार हूँ रोज़ लगाता
ऐसी अपनी शान है
ख़यालों की बस्ती में
ख़यालों की बस्ती में
तीन रानियाँ संग में है
सेना बाकी जंग में है
जीवन रंगा-रंग में है
इक सोने की खान है
ख़यालों की बस्ती में
ख़यालों की बस्ती में
बनें संत महान हैं
बाटें हरदम ज्ञान हैं
काम किए कुछ ऐसे
मिलने को तरसे इंसान हैं
ख़यालों की बस्ती में
-जितेश मेहता
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