Saturday, April 29, 2017

ख़यालों की बस्ती में

ख़यालों की बस्ती में
अपनी एक दुकान है 
जिसमें गहने बिकते हैं 
ग्राहक अक्सर दिखते हैं 
नोटों का गोदाम है 

ख़यालों की बस्ती में

ख़यालों की बस्ती में 
अपना बड़ा सा बंगला है 
बाकी मोहल्ला कंगला है 
दरबार हूँ रोज़ लगाता 
ऐसी अपनी शान है 

ख़यालों की बस्ती में

ख़यालों की बस्ती में 
तीन रानियाँ संग में है 
सेना बाकी जंग में है 
जीवन रंगा-रंग में है 
इक सोने की खान है 

ख़यालों की बस्ती में

ख़यालों की बस्ती में 
बनें संत महान हैं 
बाटें हरदम ज्ञान हैं 
काम किए कुछ ऐसे 
मिलने को तरसे इंसान हैं 

ख़यालों की बस्ती में

-जितेश मेहता 

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