Monday, November 14, 2016

500-1000 kee Gullak

जिनके पास हैं
जमा करोड़ों उनका पता नहीं
हमने कुछ हज़ार की ख़ातिर
गुल्लक तोड़ दी

निकले बहुत सिक्के
नोट कुछ सौ कुछ दस के
हज़ार-पांच सौ की चाह में
बंद मटकी फ़ोड़ दी

Sunday, November 6, 2016

आई 'ठंडी'

चलो आख़िर गई अब गर्मी
उबलते दिन प्रचंड
शॉल, रज़ाइयां निकलेंगी 
फिर झूम के आई 'ठंड'

सिगड़ी सजेंगी गली मोहल्ले 
धुवां आँख को भाएगा 
धूप की किरणों का झमघट
अब तन को खूब सुहाएगा

धुंध ज़रा मुश्किल तो देगी
मज़ा मगर उसका भी है
चाय की चुस्की वो भी लेगा
जिसको चस्का न भी है

कहवा, चाय और कॉफ़ी की
बिक्री खूब बढ़ जानी है
ऐसा सब तो होना ही है
जब भी 'सर्दी' आनी है

पंखो को आराम मिलेगा
पूरा साल ही भागते हैं
देर तक वो सब सोयेंगे 
जल्दी जो भी जागते हैं 

फिर ऊन सी बर्फ खिलेगी
खूब 'हिमाला' चमकेगा
ठंडी हवाओं के स्पर्श से 
हर इक चेहरा दमकेगा

हाथ सेकते जगह-जगह पर
जनता पाई जायेगी
दुनिया भर के गर्म मुद्दों पर
हाथ सेक बतियेगी

सर्दी का मौसम ही अलग है
रूहानी अहसास सा है
इस साल गर्मी ज़्यादा थी
इस साल ये ख़ास सा है


सर्द ऋतू का स्वागत है- जितेश मेहता 
Welcome Winter Season - Jitesh Mehta