Wednesday, June 24, 2015

बूँद-बूँद

बूँद-बूँद

बारिश में बरसे है प्यार बूँद-बूँद
मुस्कानों की लाए बौछार बूँद-बूँद
किसी के लिए सिर्फ़ मौसम इक मस्ताना
किसी के लिए है त्योहार बूँद-बूँद


सोई हसरतों को फिर जगाती बूँद-बूँद
थके हारों को भगाती बूँद-बूँद
पेड़ खुल के साँसें लेने लगें
सूखी धरती को जब भी भिगाती बूँद-बूँद


नीरस मन को तृप्त कर देती बूँद-बूँद
चेहरे को जब गीला तर देती बूँद-बूँद
सपनों पे जमी रेत धुलने लगे
आशाओं से जब जीवन को भर देती बूँद-बूँद

-जितेश मेहता 


Tuesday, June 2, 2015

जीवन -साथी

कैसे कटता जीवन जो न होता ये साथ तुम्हारा
उन कठिन पलों में साथ मेरे  मज़बूत ये हाथ तुम्हारा

तुम हो तो हर ग़म हर खुशी का अहसास अलग है
हर दिन हर रात कुछ नया कुछ ख़ास अलग है

तुम संग लड़ना, लड़ना नहीं प्यार जताने का तरीका है
तुम्हारे रूठने पर तुम्हें मानना , मज़ा फिर इसी का है

तुम्हारे लिए कुछ बनाना कुछ खरीदना मन को बहलाता है
ये नाता बड़ा अटूट है  'जीवन -साथी' कहलाता है

बस यूँही साथ रहें हम सदा इक यही गुज़ारिश है
इक और जनम भी साथ मिले दिल की ये ख्वाहिश है