Wednesday, July 26, 2017

ऐसे कारगिल चले


    On Occassion of Kargil Vijay Diwas
    कारगिल विजय दिवस
    बिना सोचे क्या होगा
    बाद में 
    कौन रखेगा हमें
    याद में
    सारी पलटने सीना
    तान के
    जीतना है बस
    यही मान के
    वीर अपना सर उठा
    लेके शेर-दिल चले
    ऐसे कारगिल चले
    पाँच सौ सत्ताईस वीरों ने
    अपने को कुर्बान किया
    देश है पूरा ऋणी इन सबका
    मिलकर ऐसा काम किया
    हुए हज़ारों घायल
    फिर भी दुश्मन दूर खदेड़ दिया
    जो आए थे क़ब्ज़ा करने
    उनको मार उधेड़ दिया
    देश राग में एक साथ में
    सारे सैनिक मिल चले
    ऐसे कारगिल चले
    इन वीरों की गाथा
    हमको हर वर्ष दोहरानी है
    याद है रखना हर शहादत
    बेफ़िज़ूल न जानी है
    नौजवानों ने हम सबकी
    और देश की साख रखी
    हुए शाहिद सरहद पर मिलकर
    अपने जिस्म की राख रखी
    उनके हर चिंघाड़ पे
    दुश्मन के पर्वत हिल चले
    ऐसे कारगिल चले
    Kargil कारगिल के युद्ध में सम्मिलित वीरों और शहीदों को समर्पित -
    एक छोटी सी श्रद्धांजलि -Jitesh Mehta


Monday, July 24, 2017

गीला है

आज तो मेघा ऐसे बरसे
हर इक स्थान गीला है
धरती तो गीली होनी थी
आसमान भी गीला है
बाहर जितना भी पड़ा
सारा सामान भी गीला है
इंसान तो गीले हैं ही
'भगवान' भी गीला है
अच्छा भी गीला है
और शैतान भी गीला है
इज़्ज़तदार भी गीला है
और बदजुबान भी गीला है
पांडे गीला, Joseph गीला,
सिंह और ख़ान भी गीला है
धूप से सूख जो मुरझाया था
हर अरमान गीला है
रौनक वाला गीला है
रस्ता 'सुन-सान' गीला है
शातिर भी गीला है
बेचारा नादान भी गीला है
जिनकी ईंटें सूख चुकी थी
हर वो मकान गीला है
आज तो मेघा ऐसे बरसे
हर इक स्थान गीला है ...

-वर्षा ऋतु की शुभकामनाएं 
  जितेश मेहता