Tuesday, December 29, 2015

Mirror Image


मेरी चुलबुल बातें 
मुझसे ये अक्सर करता था, 

मेरे अकेले पन को 
मेरा दोस्त बन भरता था,

ख़ुशी में मुस्काता 
दुख में मेरे संग रोता था,

सच इससे नहीं छुपा 
वो दिखाता जो होता था, 

ये घिस गया थोडा सा है 
इन बीते सालों में,

और झुरियां उतनी ही 
पड़ गयी हैं मेरे गालों में,

कभी है चुप रहता 
कभी देख टकटकी लगाता है,

ये दर्पण हर पल 
मुझे मेरा प्रतिबिम्ब दिखाता है

दर्पण (Mirror)
प्रतिबिम्ब (Reflection) 

Monday, December 21, 2015

थोड़ी अईयाशी सी



ज़िन्दगी रह जाती है प्यासी सी,
अगर ना रहे थोड़ी अईयाशी सी

पहले शादी फिर बच्चे ख्च्चे  
चर्चे खर्चे बिजली पानी बीमा के पर्चे
फिर छाने लगती है धीरे से उदासी सी,

ज़िन्दगी रह जाती है प्यासी सी, 
अगर ना रहे थोड़ी अईयाशी सी

पहले नौकरी फिर तरक्की  
ज़िमेदार्रियाँ वो भी पक्की,
दिनचर्या हो जाती है जैसे किसी खलासी सी,

ज़िन्दगी रह जाती है प्यासी सी, 
अगर ना रहे थोड़ी अईयाशी सी

पहले घूमना फिरना त्यौहार रिश्तेदार अटखेलियाँ 
फिर सारी लगने लगती है पहेलियाँ,
माला भी लगती है फांसी सी,

ज़िन्दगी रह जाती है प्यासी सी, 
अगर ना रहे थोड़ी अईयाशी सी