Tuesday, December 29, 2015

Mirror Image


मेरी चुलबुल बातें 
मुझसे ये अक्सर करता था, 

मेरे अकेले पन को 
मेरा दोस्त बन भरता था,

ख़ुशी में मुस्काता 
दुख में मेरे संग रोता था,

सच इससे नहीं छुपा 
वो दिखाता जो होता था, 

ये घिस गया थोडा सा है 
इन बीते सालों में,

और झुरियां उतनी ही 
पड़ गयी हैं मेरे गालों में,

कभी है चुप रहता 
कभी देख टकटकी लगाता है,

ये दर्पण हर पल 
मुझे मेरा प्रतिबिम्ब दिखाता है

दर्पण (Mirror)
प्रतिबिम्ब (Reflection) 

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