ख़यालों की बस्ती में
अपनी एक दुकान है
जिसमें गहने बिकते हैं
ग्राहक अक्सर दिखते हैं
नोटों का गोदाम है
ख़यालों की बस्ती में
ख़यालों की बस्ती में
अपना बड़ा सा बंगला है
बाकी मोहल्ला कंगला है
दरबार हूँ रोज़ लगाता
ऐसी अपनी शान है
ख़यालों की बस्ती में
ख़यालों की बस्ती में
तीन रानियाँ संग में है
सेना बाकी जंग में है
जीवन रंगा-रंग में है
इक सोने की खान है
ख़यालों की बस्ती में
ख़यालों की बस्ती में
बनें संत महान हैं
बाटें हरदम ज्ञान हैं
काम किए कुछ ऐसे
मिलने को तरसे इंसान हैं
ख़यालों की बस्ती में
-जितेश मेहता