तलाक
तलाक तो दे रहे हो मुझे गुरुर और कहर के साथ
मेरी जवानी भी लौटा दो मेरी मेहर के साथ
दिन लिए, महीने लिए, साल लिए
मेरी शाम भी वापस दे दो मेरी सहर के साथ
अब तिल तिल के जीने से क्या फायदा
साँसे मेरी लौटा दो एक बोतल ज़हर के साथ
तुम्हारा प्यार था मेरे जीवन की बारिश
अब खत्म हो गयीं सारी ख्वाहिश
अब ले गए हो अपनेपन की धुप
मोहब्बत की दोपहर के साथ
तुम्हारे कहते ही कि मैं तुम संग जी न सकूँगा
अब साथ चलोगी तो और थकुंगा
मेरे सपने बह गए जैसे कहीं
बदनसीबी की नेहर के साथ
तलाक तो दे रहे हो मुझे गुरुर और कहर के साथ
मेरा जवानी भी लौटा दो मेरी मेहर के साथ
-जितेश मेहता
Well done bro
ReplyDelete