Tuesday, June 2, 2015

जीवन -साथी

कैसे कटता जीवन जो न होता ये साथ तुम्हारा
उन कठिन पलों में साथ मेरे  मज़बूत ये हाथ तुम्हारा

तुम हो तो हर ग़म हर खुशी का अहसास अलग है
हर दिन हर रात कुछ नया कुछ ख़ास अलग है

तुम संग लड़ना, लड़ना नहीं प्यार जताने का तरीका है
तुम्हारे रूठने पर तुम्हें मानना , मज़ा फिर इसी का है

तुम्हारे लिए कुछ बनाना कुछ खरीदना मन को बहलाता है
ये नाता बड़ा अटूट है  'जीवन -साथी' कहलाता है

बस यूँही साथ रहें हम सदा इक यही गुज़ारिश है
इक और जनम भी साथ मिले दिल की ये ख्वाहिश है

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