Thursday, November 26, 2015

अत्याचार है

पूरे विश्व में त्राहिमाम-त्राहिमाम है
आम आदमी का हो रहा काम-तमाम है
दिन रात मचा हुआ हाहाकार है
आतंकियों का हो रहा अत्याचार है

कुछ देश इनमें अपने सब्ज़बाग को
भड़का रहे हैं इस सुलगती हुई आग को
मरते हुए बेगुनाह नज़र नहीं आते
आतंकियों से भरा हर समाचार है

अनपढ़ों की फ़ौज है हर क्षण बढ़ रही
जाने किस के लिए हर वक़्त है लड़ रही
आँख मूँद बैठे इनमे देश कई हैं
परमाणु के ढेर का इक अहंकार है

पूरे विश्व में त्राहिमाम त्राहिमाम है
आम आदमी का हो रहा काम तमाम है
दिन रात मचा हुआ हाहाकार है
आतंकियों का हो रहा अत्याचार है


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