Monday, May 7, 2012

की इक आंधी है हम सब में

की इक आंधी है हम सब में

की इक आंधी है हम सब में
की हम सब नौजवान हैं |

ना कोई काम लगे मुश्किल
जहाँ चाहो लगा लें दिल,
ना जी पाते कभी तिल तिल ,
हैं बस रोनक ही भरते सब जगह
ऐसा अपना जहाँ है |


की इक आंधी है हम सब में
की हम सब नौजवान हैं |

ना सुनना वो बड़ी बातें
उनसे जो खुद ना कर पाते ,
जहाँ चाहें वहीँ जाते
किसी से हम ना घबराते ,
जो बस है फैलता जाए
हम इक ऐसा धुंवां हैं |


की इक आंधी है हम सब में
की हम सब नौजवान हैं |

बदलते रहते हैं हम
हर नियम को हर सदी में ,
घडी को हम बदल देते हैं
हर दूजी घडी में ,
लड़ी हैं हम से सब जुड़ते हैं
रहते इक लड़ी में,
हैं करते हम बहुत कुछ
जाने बिन जाना कहाँ है |


की इक आंधी है हम सब में
की हम सब नौजवान हैं |

नहीं हैं जानना कुछ भी
किसी से जो बड़े हैं ,
के है जिद करना जो हमको
करेंगे लग पड़े हैं ,
हिला ना पाया हमको
कोई भी जब हम अड़े हैं ,
ज़मीं थी पास अब तो हाथ
आना आसमान  है |


की इक आंधी है हम सब में
की हम सब नौजवान हैं |

- जितेश मेहता

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