अपनी किश्ती घिरी है
आज तूफानों में,
पर कमी न आने देंगे
अपने अरमानों में
फ़रिश्ता तो बनना
शायद मुश्किल होगा,
पर नाम ज़रूर कर
जायेंगे इंसानों में
दीवाने भी देखने आयेंगे
इक दिन,
क्या बात है
हम पागल दीवानों में
महल के मज़े लेते है हम
रहते हुए,
अपने छोटे बड़े
आज तूफानों में,
पर कमी न आने देंगे
अपने अरमानों में
फ़रिश्ता तो बनना
शायद मुश्किल होगा,
पर नाम ज़रूर कर
जायेंगे इंसानों में
दीवाने भी देखने आयेंगे
इक दिन,
क्या बात है
हम पागल दीवानों में
महल के मज़े लेते है हम
रहते हुए,
अपने छोटे बड़े
दिल से बनाये मकानों में
इस बार मौका मिला है
जियेंगे जी भरके कुछ करके,
शायद फिर न मिले ये
कई ज़मानों में
अपनी जुबां के लोग तो
जानेगे ही,
पहचान होगी अपनी कई
ज़बानों में
बस काम कुछ ऐसे
करने हैं,
के लोग ढूंढे हमारी परछाई
हमारे क़दमों के निशानों में
कहानियां गड़ी जाएँगी
अक्सर हमारी,
पाए जायेंगे हम
छोटे बड़े अफसानों में
इक दिन अपनी भी दूकान
जमेगी और खूब चलेगी,
बीच कुछ
लम्बी चौड़ी दुकानों में
अपनी किश्ती घिरी है
आज तूफानों में,
पर कमी न आने देंगे
अपने अरमानों में
- जितेश मेहता
इस बार मौका मिला है
जियेंगे जी भरके कुछ करके,
शायद फिर न मिले ये
कई ज़मानों में
अपनी जुबां के लोग तो
जानेगे ही,
पहचान होगी अपनी कई
ज़बानों में
बस काम कुछ ऐसे
करने हैं,
के लोग ढूंढे हमारी परछाई
हमारे क़दमों के निशानों में
कहानियां गड़ी जाएँगी
अक्सर हमारी,
पाए जायेंगे हम
छोटे बड़े अफसानों में
इक दिन अपनी भी दूकान
जमेगी और खूब चलेगी,
बीच कुछ
लम्बी चौड़ी दुकानों में
अपनी किश्ती घिरी है
आज तूफानों में,
पर कमी न आने देंगे
अपने अरमानों में
- जितेश मेहता
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