चिप-चिप करती सुबह शाम
गर्मी-उमस से परेशान
एक आस सी है हर साँस में
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?
आते बादल जाते बादल
इक आशा सी बँधाते बादल
आँखों में तैरती सी तलाश
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?
चलते AC और बढ़ते Bill
उबलते दिमाग और बैठे दिल
बस यही पुकारें हैं तिल-तिल
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?
पत्ते इक-इक कर सूख रहे
पंछी अब कम ही दिखते हैं
पानी के Pouch बिकते हैं
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?
गर्मी-उमस से परेशान
एक आस सी है हर साँस में
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?
आते बादल जाते बादल
इक आशा सी बँधाते बादल
आँखों में तैरती सी तलाश
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?
चलते AC और बढ़ते Bill
उबलते दिमाग और बैठे दिल
बस यही पुकारें हैं तिल-तिल
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?
पत्ते इक-इक कर सूख रहे
पंछी अब कम ही दिखते हैं
पानी के Pouch बिकते हैं
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?
No comments:
Post a Comment