Tuesday, August 11, 2015

क्या बरखा आखिर बरसेगी ?

चिप-चिप करती सुबह शाम 
गर्मी-उमस से परेशान 
एक आस सी है हर साँस में 
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?

आते बादल जाते बादल 
इक आशा सी बँधाते बादल 
आँखों में तैरती सी तलाश 
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?

चलते AC और बढ़ते Bill 
उबलते दिमाग और बैठे दिल 
बस यही पुकारें हैं तिल-तिल 
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?

पत्ते इक-इक कर सूख रहे 
पंछी अब कम ही दिखते हैं 
पानी के Pouch बिकते हैं 
क्या बरखा आखिर बरसेगी ?








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