Tuesday, July 28, 2015

जब झर-मर आई बूँदें

अब जाके मन को चैन मिला
जब झर-मर आई बूँदें 
सूर्य देव आराम कर रहे
अपनी आँखें मूंदे 

पानी से भरे गड्ढों को
अपना swimming pool बनाये 
नंगे-पूंगे बच्चे सारे 
मिटटी में आटा गूंधे 

अब जाके मन को चैन मिला
जब झर-मर आई बूँदें 

वर्षा सबसे सुन्दर ऋतू
सबके मन को भाए
पंछी, गाय, भैंस , मेंढक
इस मदिरा में झूम के कूदे 

अब जाके मन को चैन मिला
जब झर-मर आई बूँदें  

जल मग्न हो जाते
नदियां, तालाब,समंदर
हरियाली पेड़ों-पहाड़ों की
मन को खूब सुकूँ दे

अब जाके मन को चैन मिला
जब झर-मर आई बूँदें 
सूर्य देव आराम कर रहे
अपनी आँखें मूंदे 

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