Siachen में -25 डिग्री पर
वो दिलेर सैनिक काँप रहे थे
जब हम सारे घर बैठे
अंगीठी में हाथ ताप रहे थे
पूरे साल वो तेज़ ठण्ड में
बन दिवार बस खड़े रहे
और हम अनजानों से
अपने-अपने कामों में अड़े रहे
इक दिन इक बर्फ भरा तूफ़ान
उनको अपने संग ले डूबा
जीवन से नाता छूट गया
और मौत बन गयी मेहबूबा
उन सारे वीर सैनिकों को
हम सबका शत-शत नमन रहे
ऐ काश एक दिन वो आये
फिर हर सरहद पर अमन रहे
वो दिलेर सैनिक काँप रहे थे
जब हम सारे घर बैठे
अंगीठी में हाथ ताप रहे थे
पूरे साल वो तेज़ ठण्ड में
बन दिवार बस खड़े रहे
और हम अनजानों से
अपने-अपने कामों में अड़े रहे
इक दिन इक बर्फ भरा तूफ़ान
उनको अपने संग ले डूबा
जीवन से नाता छूट गया
और मौत बन गयी मेहबूबा
उन सारे वीर सैनिकों को
हम सबका शत-शत नमन रहे
ऐ काश एक दिन वो आये
फिर हर सरहद पर अमन रहे
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