इस साल गर्मी होगी कैसी ?
फिर होगी AC की तैसी
फिर होगी AC की तैसी
नींबू की शामत है पक्की
जो खूब निचोड़ा जाएगा
जो खूब निचोड़ा जाएगा
गन्ने के हर ठेले पे
बर्फ का ढेला फोड़ा जायेगा
बर्फ का ढेला फोड़ा जायेगा
पानी जो खूब बहाते थे
अब बूँद-बूँद को चाटेंगे
अब बूँद-बूँद को चाटेंगे
पंखा जब चलने दौड़ेगा
'बिजली-घर' बिजली काटेंगे
'बिजली-घर' बिजली काटेंगे
फिर शामें भी गर्म होंगी
रातों में सपने उबलेंगे
रातों में सपने उबलेंगे
जो सुबह ठन्डे हो निकलेंगे
दोपहर तक जा पिघलेंगे
दोपहर तक जा पिघलेंगे
Global Warming के चक्कर में
होगी पिछले वर्ष जैसी
होगी पिछले वर्ष जैसी
इस साल गर्मी होगी कैसी ?
फिर होगी AC की तैसी
फिर होगी AC की तैसी
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